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देव दीपावली: काशी की जगमगाती श्रद्धा और आस्था का पर्व


देव दीपावली, जिसे “देवताओं की दीपावली” कहा जाता है, काशी (वाराणसी) में मनाया जाने वाला एक अद्वितीय पर्व है। यह कार्तिक पूर्णिमा के दिन, दीपावली के 15 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन गंगा घाटों पर लाखों दीयों की रोशनी से काशी जगमगाती है, जो एक दिव्य अनुभव का अहसास कराती है।

देव दीपावली का महत्व (Importance of Dev Deepawali)

यह पर्व भगवान शिव, गंगा, और देवताओं के सम्मान में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर आते हैं और गंगा घाटों पर दीप जलाने की परंपरा का पालन करते हैं।


देव दीपावली की पूजा विधि (Dev Deepawali Puja Vidhi)
  1. स्नान और गंगा पूजन: भक्तजन इस दिन गंगा स्नान करते हैं और गंगा की पूजा करते हैं।
  2. दीप जलाना: गंगा घाटों पर दीप जलाए जाते हैं। घरों में भी दीयों से सजावट की जाती है।
  3. आरती: गंगा आरती का विशेष महत्व है। हजारों भक्त इसमें सम्मिलित होते हैं।
  4. दान-पुण्य: इस दिन दान का विशेष महत्व है। भक्त जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करते हैं।

काशी में देव दीपावली उत्सव (Dev Deepawali Celebration in Kashi)

काशी का यह पर्व अपने भव्य आयोजन के लिए प्रसिद्ध है।


देव दीपावली का पर्यावरणीय संदेश (Environmental Message of Dev Deepawali)

इस पर्व का एक अनोखा पक्ष यह है कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है। गंगा की सफाई और घाटों पर जैविक दीयों का उपयोग करना इसकी खासियत है।


देव दीपावली और पर्यटक आकर्षण (Dev Deepawali: A Tourist Attraction)

देश-विदेश से लाखों पर्यटक इस पर्व का अनुभव लेने के लिए काशी आते हैं। घाटों पर जलते दीयों की रोशनी और गंगा की लहरों का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है।

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